ग्रंथों में छुपी रहस्यमयी जानकारियां - Jurney-Dreamland

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सोमवार, 5 दिसंबर 2022

ग्रंथों में छुपी रहस्यमयी जानकारियां

 ग्रंथों में छुपी रहस्यमयी जानकारियां

 


 1.
      ग्रंथों में छुपी ऐसी बहुत सी रहस्यमयी जानकारियां है जिनसे प्रायः ऐसे लोग भी अनभिज्ञ हैं जो स्वयं को विद्वान समझते हैं अथवा लोगों की दृष्टि में विद्वान हैं। इस प्रसंग में ऐसी ही कुछ जानकारियां हैं :-
        महाभारत में पाञ्चाली द्रोपदी के पाँच पुत्रों की चर्चा की गई है जिनको अश्वत्थामा ने पांचों पाण्डव समझकर उस समय मार डाला था जब वे रात्रि में सोये हुए थे। 
       श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय के १८वें श्लोक में भी द्रोपदी के उन पांचों पुत्रों की चर्चा है।
द्रोपदी के उन पांचों पुत्रों के नाम है :-
     1. प्रतिविन्ध्य   2. सुतसोम  3. श्रुतकर्मा  4.  शतानीक           4. श्रुतसेन।

 2.
महाभारत के युद्ध में सबसे वयोवृद्ध योद्धा थे :- बह्यलिक (भीष्म पितामह के चाचा)

3.

अष्ट चिरंजीवी (अमर) महापुरुष :-

    1. दैत्यराज बलि      2. ऋषि मार्कण्डेय     3. परशुराम
    4. हनुमान               5. विभीषण             6. वेदव्यास  
    7. कृपाचार्य            8. अश्वत्थामा।

4.
परमात्मा का अटल सत्य :-
शोक उसी का कीजिए, जो अनहोनी होय।
अनहोनी  होती  नहीं,  होनी  है  सो  होय।।

 5.
      ग्रंथों, पुराणों तथा श्रीमद्भागवत कथा इत्यादि में शौनकादि चार ब्रह्मचारियों की प्रायः चर्चा मिलती है, मगर उन चारों के नाम की चर्चा प्रायः नहीं मिलती है। उन चार ब्रह्मचारियों के नाम हैं :-
1. सनक      2. सनन्दन      3. सनातन    4. सनत्कुमार।

6.
सप्तऋषि :-
     1. मारीचि  2. अंगिरा  3. अत्रि 4. पुलस्त्य  5. पुलह 
     6. क्रतु  7. वशिष्ठ।

7.
     प्रायः सभी लोगों को इतना तो ज्ञात है कि सम्पूर्ण मानव जाति मनु की संतान हैं, परन्तु   उन्हें प्रायः ये ज्ञात नहीं है कि मनु हैं कितने व उनके नाम क्या है?
मनु १४ है :-
1. स्वायम्भुव   2. स्वरोचिष   3. उत्तम                4. तामस
5. रैवत          6. चाक्षुष       7. वैवस्वतवर्णित    8. सावर्णि 
9. दक्षसावर्णि        10. ब्रह्मसावर्णि       11. धर्मसावर्णि      
12. रुद्रसावर्णि      13. देवसावर्णि        14. इन्द्रसावर्णि।
       एक बात और; सम्पूर्ण मानव जाति केवल मनु की ही सन्तान नहीं है अपितु उपरोक्त वर्णित ४ ब्रह्मचारी, ७ ऋषी (सप्तऋषि) तथा १४ मनु सहित २५ ऋषियों की सन्तानें हैं।
यथा :-
"महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा ।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोकः इमाः प्रजाः।।"
(श्रीमद्भागवत गीता अ. १०, श्लोक ६)

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  ★ हरि ॐ तत्-सत् ।। जय श्रीकृष्ण ।। ★


3 टिप्‍पणियां:

Shri Krishna Choumal ने कहा…

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