सच्चे देश वासियों का कर्तव्य
जातिवाद..., सम्प्रदायों के नाम पर... लड़कर मरने वाले, आपस में गुटबाजी करने वाले, देशवासियों को आपस में तोड़ने वाले अथवा लड़वाने वाले देश को कमजोर बनाते हैं। ऐसे लोग संकीर्ण सोच व तुच्छ विचार पालने वाले लोग होते हैं। ऐसे लोग देशद्रोही गद्दारों की श्रेणी के लोग होते हैं। ये लोग कभी भी सच्चे देशभक्त हो ही नहीं सकते।
जो मानव "वसुधैव कुटुम्बकम" जो सनातन नियम है, के संकल्प का पालन करते हुए सभी देशवासियों को भाईचारे व एकता के सूत्रों में बाँधे रखता है।
वही सच्चा देशभक्त होता है।
हमें जातिवाद अथवा सम्प्रदायवाद नहीं बढ़ाना है और न ही धर्म-मजहब के नाम पर झोड़-झपाटे।
किसी एक दोषी व्यक्ति के लिए पूरी कोम को दोषी ठहराना मूर्खों की पहचान है विद्वान की नहीं।
इंसान अथवा मानव योनी में जन्म लेने मात्र से कोई इंसान अथवा मानव नहीं हो जाता है।
जिसमें मानवता अथवा इंसानियत हो सही मायने में मानव तो वही होता है, बाकी सब तो मानव योनी में पशु ही होते है।
यही महान ग्रन्थ श्रीमद्भागवत गीता का नियम है।
।। सच्चिदानंदघन भगवान वासुदेव श्रीकृष्णचन्द्र की जय।।
।। हरि ॐ तत्-सत् ।।
।। जय श्री कृष्णा।।
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