एक बेहतरीन निर्देशक प्रमोद कौशिक
इन्होंने अब तक जिन-जिन फिल्मों का निर्देशन किया है उनमें हिंदी फ़ीचर फ़िल्म "ये कैसा है दहेज" (निर्देशक), राजस्थानी फिल्म "ठकुराइन" (कला-निर्देशक), "थारे-म्हारे बीच में" (तकनीकी-निर्देशक), टेलीफ़िल्में "लाली", "करमा रो लेख", "दो मस्ताने", शॉर्ट फिल्में "एक नन्ही सोच", अपराधी कौन", सौतेली माँ", "घर का चिराग", "राईटर", "संसाधन", "सरपंच", "फरियाद", "फगलु दादा", "कुंवारा पिता", "रोंग-वे", "अतीत" इन सभी फिल्मों में निर्देशन के साथ-साथ सिनेमेटोग्राफी का कार्य भी बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया है।
इन फिल्मों में कुछ फिल्में अवॉर्ड भी ले चुकी है। जिन फिल्मों को अवॉर्ड मिला है वो है "संसाधन", "सरपंच", "एक नन्ही सोच" इनमें "एक नन्ही सोच" तो तीन बार अवॉर्ड ले चुकी है। इसके अलावा अपने सिनेमेटोग्राफी व निर्देशन में 150 के करीब विडिओ सोंग बना चुके हैं। डायरेक्टर प्रमोद कौशिक ने जिन -जिन ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के लिए एलबम व विडिओ सोंग्स बनाएं हैं वो है यूट्यूब, सोनोटेक (दिल्ली), ऑडिओ केरि म्यूजिक (मुम्बई), वी-सीरीज इंटरटेनमेंट (मुम्बई), भारती ऑडियो कैसेट्स (बीकानेर) व और बहुत सी म्यूजिक कंपनियों के लिए विडिओ एलबम बना चुके हैं। इसके अलावा वर्तमान में एक्शन हिंदी फ़ीचर फिल्में व हॉरर फ़िल्म में निर्देशन कर रहे हैं।
डायरेक्टर प्रमोद कौशिक की एक सबसे बड़ी विशेषता जो है वो ये है कि ये किसी भी फ़िल्म निर्माता (प्रोड्यूसर) का चाहे इस लाईन में नए हो या पुराने, फिजूल खर्च नहीं करवाते हैं बल्कि समय-समय पर सीमित बजट के लिए उन्हें राय-मशविरा देते रहते हैं जिससे इनके सम्पर्क में आने वाले प्रोड्यूसर पूरे विश्वास के साथ अपने प्रोडक्शन की बागडोर इनके हाथों में सौंपकर निश्फिक्र रहते हैं। और इनकी यही विशेषता हर नए-पुराने प्रोड्यूसर्स को इनकी ओर आकर्षित करती है, और अपनी इसी विशेषता के चलते इनके पास काम की कोई कमी नहीं रहती है, हरदम किसी न किसी फ़िल्म की शूटिंग अथवा विडिओ एलबम में बिजी रहते हैं। अभी ये पाँच हिंदी मूवीज में बीजी हैं जिनमें दो फ्रीडम फाइटर्स की बायोग्राफी, एक एक्शन मूवी व दो हॉरर मूवीज है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें